मानो तो मैं गंगा ना मानो तो मैं बहता पानी यह बात बिल्कुल सही है, माँ गंगा के दर्शन के लिए लाखों भक्त उमड़ पड़ते हैं।
माँ तो माँ है वह अपने पुत्र को तकलीफ में कैसे देख सकती है। कई राजा महाराजओं ने जो सूर्य एवं चन्द्र वंशी वंश के थे उन्होंने यहाँ यज्ञ किया। पछवादून प्राचीन समय से ही यज्ञ भूमी रहा है। गौतम श्रृषि का आश्रम महादेव गंग भेवा बावड़ी है। माँ गंगा स्वयं यहाँ अवतरित हुई थी।इसका जल गंगा का जल है लौग अन्य कई राज्यों से यहाँ आकर स्नान करते हैं और अपने पूर्वजों के लिए पूजा पाठ हवन इत्यादि करते हैं। अमावस्या और पूर्णिमा को लोग यहाँ आकर स्नान कर अपने पापों से मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं। सूर्य देव को जल चड़ाते है। 13 अप्रैल को बैशाखी वाले दिन यहाँ एक भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। उस दिन लोग गंगा स्नान करते हैं और मेले में विभिन्न प्रकार की खरीदारी करते हैं। बैशाखी वाले दिन अन्न की कटाई के साथ ही साथ बैशाखी त्यौहार की खुशियाँ भी बांटते हैं। पुलिस इस आयोजन के लिए पहले से ही सभी तैयारी करती है जिससे किसी को भी असुविधा ना हो। शासन- प्रशासन हमेशा तैयार रहता है। उत्तराखंड के भव्य मेले का आयोजन होता है, आसपास के राज्यों से भी भारी भीड़ जुटती है, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, हरियाणा से लोग यहाँ खींचे चले आते है। ऐसे पवित्र तीर्थ स्थल पर लोग अपने पापों की शुद्धिकरण करते हैं।