कर खुदी को इतना बुलंद की खुदा खुद तुझसे पूछे बता बंदे तेरी रजा किसमें है। अलका एक सामान्य परिवार से आती है, उनके पिता भारतीय सेना में कार्यरत रहे , देश की सेवा का जूनून पिता और बेटी अलका दोनों के अंदर कूट- कूट कर भरा है बचपन में अलका रावत ने पंजाब के गुरदासपुर से पढाई प्रारम्भ की बाद में राॅयवाला से अपनी पढाई पूरी की और सेना में भर्ती की तैयारी शुरू कर दी। अलका को बाॅयलाजी विषय में रुचि होने के कारण उन्होंने सेना की नर्सिंग विंग में शाॅर्ट सर्विस कमीशन के लिए आवेदन किया और अपनी सभी परीक्षा उत्तीर्ण करने के उपरांत उन्हें भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर नियुक्त किया गया। अलका बचपन से यही सपना संजोय थी जो आज उनहोंने पूर कर सभी के लिए एक मिसाल कायम की, कि जहाँ चाह है वहाँ राह है। हौसले बुलंद होने चाहिए रास्ता खुद बा खुद बनता चला जाता है। और सपने भी पूरे होते चले जाते हैं। हमारी बेटियों को अलका और अलका जैसी बेटियों से प्रेरित होकर आगे बढते चले जाना है। माता-पिता का सर गर्व से ऊॅंचा करने पर उनके घर पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी है बधाईयों की लाइन लग गई, अलका अपनी इस मेहनत और जीत का जशन अपने परिवार के साथ मना रही है। अदभुत और अनोखा है हमारा उतराखंड।
उत्तराखंड की अलका ने लेफ्टिनेंट बनकर अपना सपना साकार किया, पौड़ी गढ़वाल के विकास खंड कीर्तिनगर के बागवन की रहने वाली है।
