शिमला बाई पास रोड़ पर अचानक से एक ढाबे पर पत्रकार महोदय को चाय पीने का मन हुआ और चाय की चुसकी इतनी बेहतरीन थी कि साथ ही साथ ढाबे के मालिक के साथ बातों ही बातों में कुछ अनोखा पता चला, मेहनतकश, सरल स्वभाव, शालीन विचार, और चेहरे पर मुस्कुराहट, लिए अखिलेश कुमार कश्यप ने छोटी सी कैंटीन से आज गतना बड़ा ढा़बा बनाया जहाँ का खाना बिल्कुल ताजा और लाजबाब होता है कि खाने वाले उंगलियाँ चाटते रहते हैं वहीं चाय तो शानदार और बहतरीन होती है वहीं पत्रकार महोदय से बातचीत करते हुए पता चला कि अखिलेश कुमार कशयप अपने क्षेत्र के युवाओं को पढा़ने और उन्हें कामयाब बनाने के लिए अपनी मेहनत की कमाई तक खर्च करते हैं और उन युवाओं को और उनके परिवार को आर्थिक सहायता के लिए भी तैयार रहते हैं उनका मानना है जब युवा कुछ करेगा तो घर, परिवार, समुदाय और समाज व देश उन्नति करेगा ऐसी सोच को हमारा पुरा पत्रकारिता समाज सलाम करता है।
अच्छी सोच से ही हौंसला बुलंद होता है, महाराज ढाबे के मालिक अखिलेश कुमार कश्यप ने मेहनत के साथ ही साथ दूसरों के लिए हमेशा मदद के लिए हाथ बढा़ये , ऐसी सोच को सलाम है।
